Lucknow/Atulya Loktantra : 43 वर्षीय मनीष सिंघानिया ब्रेन अटैक के बाद आंशिक रूप से लकवाग्रस्त हो गए थे, लेकिन मैक्स सुपर स्पेशियलिटी हाॅस्पिटल साकेत ने उनका सफलता पूर्वक इलाज कर उन्हें नया जीवन दिया है। उनके मस्तिश्क में एक गंभीर क्लाॅट को हटाने के लिए उनकी मिनिमली इनवेसिव ब्रेन सर्जरी की गई जो लगभग एक घंटे तक चली। इस क्लाॅट ने हृदय से मस्तिष्क तक रक्त ले जाने वाली मुख्य धमनी को अवरुद्ध कर दिया था। रोगी को गंभीर अवस्था में इमरजेंसी में भर्ती कराया गया था। दरअसल श्री सिंघानिया को आॅफिस जाते समय स्ट्रोक का अटैक हुआ था जिसके बाद उनके शरीर के बायें हिस्से में काफी अधिक कमजोरी आ गयी थी और उनकी आवाज भी अस्पश्ट हो गई थी। ब्रेन की एमआरआई सहित विस्तृत जांच से उनके मस्तिष्क के बाईं ओर एक गंभीर थक्के का पता चला जिसने रक्त वाहिकाओं को नुकसान पहुंचाया था और जिसके कारण उनकी यह स्थिति हुई थी। थक्का हृदय से मस्तिष्क तक रक्त ले जाने वाली मुख्य रक्त वाहिकाओं में से एक में गंभीर रुकावट पैदा कर रहा था।
जीवन के लिए घातक इस स्थिति को ध्यान में रखते हुए, रोगी को तत्काल सर्जरी के लिए सलाह दी गई। मैक्स सुपर स्पेशलिटी हाॅस्पिटल, साकेत के इंटरवेंषनल न्यूरोलाॅजी के सीनियर कंसल्टेंट और प्रमुख डॉ. चंद्रिल चुघ, (अमेरिका में प्रशिक्षित स्ट्रोक और एन्यूरिज्म विशेषज्ञ) के नेतृत्व में डॉक्टरों की टीम ने धमनी की गंभीर रुकावट को खोलने के लिए काॅम्प्लेक्स लाइफ सेविंग ब्रेन क्लाॅट रिमूवल सर्जरी करने का फैसला किया। मैक्स सुपर स्पेशलिटी हाॅस्पिटल, साकेत के इंटरवेंषनल न्यूरोलाॅजी के सीनियर कंसल्टेंट और प्रमुख डॉ. चंद्रिल चुघ ने कहा, ‘‘मिनिमली इनवेसिव ब्रेन प्रोसीजर्स रक्त वाहिका को खोलकर मस्तिष्क के थक्के को हटाने के लिए की जाती है और इसमें ओपन ब्रेन सर्जरी की आवश्यकता नहीं पड़ती है। क्लॉट को हटाने का यह तरीका उन रोगियों के लिए बहुत फायदेमंद साबित होता है, जो बहुत ही गंभीर अवस्था में हैं और उनके मस्तिश्क की ओपन सर्जरी में किसी भी तरह का नुकसान होने का खतरा होता है। इतना ही नहीं, मिनिमली इनवेसिव ब्रेन सर्जरी ज्यादा सुरक्षित होती है, क्योंकि इसमें रक्त का कम से कम नुकसान होता है, अस्पताल और आईसीयू में कम समय तक रहना पड़ता है, आॅपरेषन के निशान नहीं रहते हैं और संक्रमण होने की न्यूनतम संभावनाएं होती हैं।’’
मिनिमली इनवेसिव ब्रेन प्रोसीजर्स ने मस्तिष्क रोगों के उपचार में क्रांति ला दी है। ये प्रक्रियाएं न केवल जीवन रक्षक हैं, बल्कि ओपन ब्रेन प्रोसीजर्स की तुलना में बहुत अधिक सुरक्षित और कम जटिल हैं। मिनिमली इनवेसिव ब्रेन प्रोसीजर्स से ब्रेन हेमरेज, एन्यूरिज्म, ब्रेन क्लाॅट, पैरालाइटिक अटैक, रक्त वाहिकाओं में रुकावट जैसी मस्तिष्क और रीढ़ की कई बीमारियों का इलाज करने में मदद मिल सकती है। इस न्यूनतम इनवेसिव ब्रेन सर्जरी के माध्यम से, थक्का को सफलतापूर्वक मस्तिष्क से निकाल दिया जाता है। इस नयी तकनीक के तहत ब्रेन ट्यूमर / थक्कों को हटाने के लिए खोपड़ी को पूरी तरह से खोलने की आवश्यकता नहीं पड़ती है, और मस्तिष्क से कम छेड़छाड़ करने के कारण न्यूरोलॉजिकल चोट पहुंचने का कम खतरा होता है।
डॉ. चुघ ने कहा, ‘‘हालांकि, मस्तिष्क के किसी भी हिस्से में थक्के या अवरोध संभावित रूप से घातक हो सकते हैं, लेकिन समय पर पता लग जाने और जल्द से जल्द इलाज हो जाने पर मरीज को ठीक किया जा सकता है और मरीज कुछ ही समय में अपने सामान्य जीवन में वापस आ सकते हैं। श्री सिंघानिया के मामले में हृदय से मस्तिष्क तक रक्त ले जाने वाली धमनी में एक गंभीर रुकावट थी। हालांकि यह एक चुनौतीपूर्ण सर्जरी थी, लेकिन यह सर्जरी सफलतापूर्वक की गई।’’ यह प्रक्रिया लगभग एक घंटे तक चली, और इस प्रक्रिया के बाद रोगी बहुत जल्द ठीक हो गया और उसके बाद अपने सभी काम करने लगा। यह रोगी पहले से धूम्रपान करता था, लेकिन उसे तत्काल धूम्रपान छोड़ने की सलाह दी गई है।
इसके अलावा, विश्व तंबाकू रहित दिवस के अवसर पर, डॉ. चुघ ने यह संदेश दिया, ‘‘धूम्रपान ब्रेन स्ट्रोक और हेमरेज का एक प्रमुख जोखिम कारक है। ब्रेन स्ट्रोक हमारे देश में मृत्यु और विकलांगता के सबसे आम कारणों में से एक है। धूम्रपान न केवल पैरालाइटिक अटैक के जोखिम को बढ़ाता है, बल्कि यह दिल और फेफड़ों जैसे अन्य अंगों को भी प्रभावित कर सकता है।