Uttarakhand/Atulya Loktantra : बाढ़ और भूस्खलन के कारण उत्तराखंड में भारी नुकसान हुआ है. यहां के आठ जिलों में त्राहि त्राहि मची है. कई जगह बादल फटने के बाद कोहराम मचा हुआ है तो कई जगह भूस्खलन से पहाड़ टूट कर सड़कों पर गिर रहे हैं. उत्तरकाशी के मोरी क्षेत्र में रविवार को बादल फट गया था. इस हादसे में 17 लोगों की मौत हो गई है. रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है.
आपदा प्रबंधन के सचिव एस ए मुरुगेसन ने बताया कि उत्तरकाशी के मोरी तहसील में बादल फटने से 17 लोगों की मौत हो गई है. राहत और बचाव कार्य चल रहा है. इससे पहले सोमवार को वित्त सचिव अमित नेगी, महानिरीक्षक (आईजी) संजय गुंज्याल और उत्तरकाशी के जिला मजिस्ट्रेट (डीएम) आशीष चौहान ने अरकोट में हालात का जायजा लिया.
बारिश के कारण रेस्क्यू ऑपरेशन में देरी
दरअसल, उत्तरकाशी के मोरी क्षेत्र में रविवार को भारी बारिश हुई. इसके बाद बादल फट गया. इस हादसे में ग्रामीणों के मलबे में दबे होने की सूचना मिली. इस पर एसडीआरएफ की टीम बड़कोट से रवाना हुई. सुदूरवर्ती क्षेत्र मोरी के गांव माकुड़ी, टिकोची और आराकोट भारी बारिश से सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं.
रेस्क्यू ऑपरेशन में लगाए गए दो हेलिकॉप्टर
माकुड़ी में लोगों के मलबे में दबे होने की खबर है. एसडीआरएफ की टीम बड़कोट से प्रभावित इलाके आराकोट में पहुंच चुकी है. रेस्क्यू टीम के मोरी तक पहुंचने की सूचना है. रास्ता ज्यादा टूटे होने से टीम को प्रभावित गांव में पहुंचने में काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है. मोरी में रेस्क्यू के लिए दो हेलिकॉप्टर भी लगाए गए हैं.
एलडीआरएफ ने संभाला मोर्चा, अस्पतालों में भेजे जा रहे हैं घायल
आराकोट पहुंची एसडीआरएफ टीम ने बचाव अभियान का काम शुरू कर दिया है. एक घायल को सनेल से आराकोट हॉस्पिटल पहुंचाया गया. लगभग 170 ग्रामीणों को वन विश्राम गृह भेजा गया है. प्रभावित इलाके में एसडीआरएफ की ओर से आपदा राहत पैकेट पहुंचाए जा रहे हैं.
ग्रामीणों में आपदा राहत किट का वितरण
चकरोता से रवाना टीम भी घटनास्थल के करीब पहुंच चुकी है. एक अतिरिक्त एसडीआरएफ टीम ने उजेली से प्रस्थान किया है. एसडीआरएफ की एक सब टीम बर्मा ब्रिज का निर्माण कर आवाजाही शुरू करने का प्रयास करेगी. साथ ही हेली ड्रॉप आपदा राहत किट का वितरण भी किया जाएगा. एक अन्य 30 सदस्यीय रेस्क्यू टीम भी बटालियन हेडक्वार्टर जोलीग्रांट से जरूरी सामान लेकर रवाना होगी. एसडीआरएफ कम्युनिकेशन सदस्यों की ओर से इलाके में आवश्यक वायरलेस टावर लगा कर रेस्क्यू के लिए संचार व्यवस्था शुरू की जाएगी.