रूस की राजधानी मॉस्को में क्रोकस सिटी हॉल पर हुए आतंकी हमले में 11 लोगों को हिरासत में लिया गया है। इनमें 4 हमलावर हैं और 7 लोग उनकी मदद करने वाले बताए गए हैं। RT इंडिया की रिपोर्ट मुताबिक, रूस के सिक्योरिटी सर्विस के चीफ ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को बताया है कि चार संदिग्ध सफेद रंग की कार में भागने की कोशिश कर रहे थे।
हमला शुक्रवार रात (22 मार्च) को हुआ। इसकी जिम्मेदारी ISIS-K ने ली है। सेना जैसी वर्दी पहने 4 आतंकियों ने अंधाधुंध गोलियां चलाईं, बम फेंके और फरार हो गए। पहले आतंकियों की संख्या 5 बताई गई थी। हमले में अब तक 115 लोगों की मौत हुई है। आंकड़ा बढ़ने की आशंका जताई जा रही है। 140 से ज्यादा लोग घायल हैं।
इधर, रूस के पूर्व राष्ट्रपति और नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल के डिप्टी चेयरपर्सन दिमित्री मेदवेदेव ने कहा कि रूस खून का बदला खून से लेगा। आतंकवादी सिर्फ आतंक की भाषा ही समझते हैं। जब तक बल का मुकाबला बल से नहीं किया जाता और आतंकवादियों की मौत के साथ-साथ उनके परिवारों पर कार्रवाई नहीं की जाती, तब तक किसी भी जांच का कोई मतलब नहीं।
PM मोदी ने दुख जताया
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने घटना पर दुख जताया है। उन्होंने कहा- हम मॉस्को में हुए आतंकवादी हमले की निंदा करते हैं। हमारी संवेदनाएं पीड़ित परिवारों के साथ हैं। दुख की इस घड़ी में भारत, रूस की सरकार और लोगों के साथ एकजुटता से खड़ा है।
इधर, रूस का कहना है कि आतंकियों ने पूरे हॉल को जलाने की कोशिश की थी। जांच के दौरान हॉल में कैमिकल्स मिले हैं।
ISIS बोला- ईसाइयों की बड़ी सभा पर हमला किया
आतंकी संगठन IS ने आमाक न्यूज एजेंसी के जरिए बयान जारी किया। कहा, ”इस्लामिक स्टेट के लड़ाकों ने रूस की राजधानी मॉस्को के बाहरी इलाके क्रास्नोगोर्स्क शहर में ईसाइयों की एक बड़ी सभा पर हमला किया, जिसमें सैकड़ों लोग मारे गए और घायल हो गए और उनके सुरक्षित रूप से अपने ठिकानों पर लौटने से पहले उस जगह पर भारी तबाही हुई। हमला करने के बाद हमारे लड़ाके मौके से भाग निकले।”
BBC ने अपनी रिपोर्ट में एक्सपर्ट्स के हवाले से लिखा- हमला ISIS की खुरासान विंग यानी ISIS-K ने किया। ISIS-K का नाम उत्तरपूर्वी ईरान, दक्षिणी तुर्कमेनिस्तान और उत्तरी अफगानिस्तान में आने वाले क्षेत्र के नाम पर रखा गया है।
यह संगठन सबसे पहले 2014 में पूर्वी अफगानिस्तान में एक्टिव हुआ। तब रूस के उग्रवादी समूहों के कई लड़ाके इसमें शामिल होने सीरिया पहुंच गए।
ये पुतिन और उनके प्रोपागेंडा का विरोध करते हैं। इनका कहना है कि पुतिन की सरकार चेचन्या और सीरिया में हमले कर मुसलमानों पर अत्याचार करती है। अफगानिस्तान ने मुसलमानों पर इसी तरह के अत्याचार रूस ने सोवियत काल के दौरान किए थे।
पुतिन 18 मार्च को 5वीं बार रूस के राष्ट्रपति बने। 5 दिन बाद यह बड़ा आतंकी हमला हुआ। फिलहाल पुतिन ने हमले पर कोई बयान नहीं दिया है।
रूस ने यूक्रेन पर शक जताया
रूस के हमले में यूक्रेन का हाथ होने का शक जताया था। इस पर यूक्रेन ने बयान जारी करते हुए कहा था, ”हम इस तरह के आरोपों को यूक्रेन विरोधी उन्माद को बढ़ावा देने के रूप में मानते हैं।अंतरराष्ट्रीय समुदाय में यूक्रेन को बदनाम करने का तरीका है। हमारे देश के खिलाफ रूसी नागरिकों को लामबंद किया जा रहा है।”
अमेरिकी दूतावास ने हमले की चेतावनी दी थी
न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, 7 मार्च को रूस में मौजूद अमेरिकी दूतावास ने किसी बड़े हमले की चेतावनी दी थी। दूतावास ने कहा था कि चरमपंथी मॉस्को में म्यूजिक कॉन्सर्ट में हमला करने की साजिश रच रहे हैं। दूतावास ने एडवाइजरी जारी करते हुए रूस में मौजूद अमेरिकी नागरिकों से अगले 48 घंटे तक किसी भी बड़ी सभा में नहीं जाने को कहा है।
वहीं, पुतिन ने अमेरिकी दूतावास के हमले की चेतावनी दिए जाने की निंदा की थी। फिलहाल व्हाइट हाउस के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जॉन किर्बी ने कहा कि फिलहाल ज्यादा जानकारी नहीं दे सकते हैं। हमले की तस्वीरें बहुत भयानक हैं।