पश्चिम बंगाल में शिक्षक भर्ती घोटाले पर सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार (7 मई) को सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट ने इसे व्यवस्थागत धोखाधड़ी (systemic fraud) बताया। कोर्ट ने कहा कि आज नौकरियों की कमी है। अगर जनता का भरोसा चला गया तो कुछ नहीं बचेगा।
कोर्ट ने फटकार लगाते हुए यह भी कहा कि राज्य सरकार के पास यह दिखाने के लिए कुछ भी नहीं है कि डेटा उसके अधिकारियों ने मेनटेन किया था और इसकी उपलब्धता के बारे में पूछा गया था।
बंगाल के शिक्षक भर्ती घोटाले में चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच सुनवाई कर रही है। पिटीशन में मांग की गई है कि हाईकोर्ट के फैसले को रद्द किया जाए।
कलकत्ता हाईकोर्ट ने इस साल 22 अप्रैल को पश्चिम बंगाल के सरकारी स्कूलों की 25 हजार 753 नियुक्तियों को अवैध करार दे दिया था। साथ ही इन शिक्षकों को 7-8 साल के दौरान मिली सैलरी 12% इंटरेस्ट के साथ लौटाने के निर्देश भी दिए थे। इसके लिए कोर्ट ने 6 हफ्ते का समय दिया था।
कोर्ट रूम लाइव: कोर्ट ने बंगाल सरकार से कहा- आपको सुपरवाइजरी कंट्रोल बनाए रखना था
सुप्रीम कोर्ट ने बंगाल सरकार के वकील से पूछा कि या तो आपके पास डेटा है या नहीं है….आप दस्तावेजों को डिजिटल रूप में बनाए रखने के लिए बाध्य थे। यह स्पष्ट है कि कोई डेटा नहीं है। आपको यह पता ही नहीं है कि आपके सर्विस प्रोवाइडर ने किसी अन्य एजेंसी को नियुक्त किया है। आपको सुपरवाइजरी कंट्रोल बनाए रखना था।
चीफ जस्टिस चंद्रचूड़: कार्यवाही के दौरान शॉर्टलिस्ट करने की क्या जरूरत थी? सरकार ने 2022 में पद निकाले थे?
बंगाल सरकार के एक वकील: जनवरी 2019 में सभी नियुक्तियां कर ली गई थीं, लेकिन उन्होंने बाद में चुनौती दी और 2.5 साल बाद उन्हें (पदों को) खत्म करना पड़ा। समस्याएं हमारी अपनी पैदा की हुई थीं।
बंगाल सरकार के दूसरे वकील: हम ज्यादा खाली पद नहीं चाहते थे, इसलिए वेटिंग लिस्ट वाले उम्मीदवारों को सेवानिवृत्त पदों पर ले लिया गया।
सुप्रीम कोर्ट: अगर सिलेक्शन को ही चुनौती दी गई थी तो आप वेटिंग लिस्ट से नियुक्तियां क्यों करेंगे और अतिरिक्त पद क्यों बनाएंगे?
29 अप्रैल: कोर्ट रूम में CJI की 3 टिप्पणियां
ओएमआर शीट नष्ट कर दी गईं। क्या ऐसे में सही तरह से किए गए अपॉइंटमेंट को अलग किया जा सकता है।
यह सारी चीजें आपको बतानी होंगी कि क्या अब जो दस्तावेज मौजूद हैं, उनके आधार पर सही और गलत नियुक्तियों को अलग-अलग किया जा सकता है। यह पता लगाया जा सकता है कि इस घोटाले का फायदा किसे पहुंचा।
25 हजार बहुत बड़ी संख्या है। 25 हजार नौकरियां ले ली गईं, ये बड़ी बात है, जब तक कि हम यह ना जान लें कि सब कुछ धोखाधड़ी से भरा हुआ था।