वाराणसी/ अतुल्य लोकतंत्र : संत विनोबा भावे की प्रेरणा से स्थापित केंद्र सर्व सेवा संघ परिसर राजघाट वाराणसी को स्थानीय प्रशासन और रेलवे की मिलीभगत से ध्वस्त किया गया। इस घटना को इतिहास की शर्मनाक घटना के तौर पर याद किया जाएगा। यह घटनाक्रम में गांधी, विनोबा भावे, जे पी की विरासत को नष्ट करने का प्रयास है । निश्चित तौर पर यह सत्ता का बुलडोजर है।
दुःख इस बात का है कि हमारे सत्ताधीश गांधी के रास्ते पर चलने का ढोंग करते हैं। ज्ञात रहे वर्ष १९५६ से ही वाराणसी में सर्व सेवा संघ कार्यरत है ।
१९६० के बाद १९६१ ,१९७० में जब सर्व सेवा संघ द्वारा रेलवे से जमीन को खरीदा गया तब यहां साधना केन्द्र का निर्माण हुआ और १९६४ में साधना केन्द्र का उदघाटन पूर्व प्रधानमन्त्री लालबहादुर शास्त्री ने किया।
साधना केन्द्र का यह परिसर सर्वोदई और गांधीवादी
आचार्य विनोबा भावे , जे पी, अच्युन पटवर्धन, धीरेंद्र मजूमदार, बालकोवा भावे, नवकृष्ण चौधरी, दादा धर्माधिकारी, मनमोहन चौधरी, निर्मला देशपांडे आदि महान लोगों का कर्मस्थल रहा है।
सर्व सेवा संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष चंदनपाल ने बताया कि बुलडोजर से भवन ध्वस्त करने वालों के पास कोई भी कानूनी नोटिस नहीं था।पूर्व में भी भवन खाली करने को तैयार कई धमकियां उन्हें मिली थी , जिसके खिलाफ विरोध के लिए संघ के अध्यक्ष चंदनपाल, यू पी सर्वोदय मंडल के अध्यक्ष राम धीरज , प्रकाशक समिति के संयोजक अरविंद , नंदलाल मास्टर समेत ८ लोगों को गिरफ्तार किया गया था।
संघ के आंदोलन को समर्थन के लिए देश की जानीमानी समजसेवी मेधा पाटकर , किसान नेता राकेश टिकैत, योगेंद्र यादव व अन्य आगे आए। इस सब पर सर्व सेवा संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष चंदनपाल का कहना है कि यह घटना लोकतंत्र और विधान के राज पर सीधा हमला है जो अति निंदनीय कृत्य है । उन्होने बताया कि प्रशासन द्वारा यह हमला पूर्व नियोजित है।