दारुल उलूम ने एक लाख फतवे जारी किए, ‘जकात’ को बताया सोर्स ऑफ इनकम
UP में मदरसों में सर्वे का काम चल रहा है। 12 प्वाइंट्स पर यह सर्वे हो रहा है। 20 अक्टूबर तक सभी जिलों से रिपोर्ट शासन तक आ गई। राज्य में करीब 7,500 मदरसा गैर- मान्यता प्राप्त मिले हैं। अब तक के आंकड़ों के मुताबिक सबसे ज्यादा 585 गैर-मान्यता प्राप्त मदरसे मुरादाबाद में मिले हैं। सहारनपुर में 306 मदरसे गैर-मान्यता प्राप्त मिले हैं।
विश्व विख्यात दारुल उलूम मदरसे से देशभर के 4,500 मदरसे संबद्ध हैं। इनमें से 2,100 मदरसे तो UP में ही हैं। जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी भरत लाल गोंड बताते हैं, “दारुल उलूम बिना मान्यता के संचालित हो रहा है। सबसे अहम यह है कि इन सभी गैर-मान्यता प्राप्त मदरसों ने अपना सोर्स ऑफ इनकम ‘जकात‘ बताया है।
गैर-मान्यता प्राप्त मदरसों में 2 हजार से ज्यादा बच्चे
जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी एवं सहायक श्रम आयुक्त वक्फ भरत लाल गोंड के मुताबिक, “सहारनपुर में 754 मदरसे विभाग में रजिस्टर्ड हैं। इनमें 5वीं स्तर के 664, 8वीं स्तर के 80 और 10वीं स्तर के 10 मदरसा हैं, जबकि 306 मदरसे गैर-मान्यता प्राप्त हैं। इनमें 2 हजार बच्चे दीनी तालीम ले रहे हैं। इनमें सबसे अलग दारुल उलूम है, जो बिना मान्यता संचालित है। यहां करीब 5 हजार छात्र हैं।”
दारुल उलूम देवबंद के प्रवक्ता अशरफ उस्मानी कहते हैं, “दारुल उलूम सोसाइटी एक्ट-1866 के तहत पंजीकृत है। UP या केंद्र सरकार से अनुदान कभी नहीं लिया गया। सारा खर्च चंदे पर चलता है।”
दारुल उलूम ने 17 साल में करीब 1 लाख फतवे जारी किए
इस्लामी तालीम के बाद फतवों के लिए विश्वभर में प्रसिद्ध दारुल उलूम से 17 साल में ऑनलाइन करीब 1 लाख से ज्यादा फतवे जारी किए गए हैं। दारुल उलूम में साल 2005 में फतवा ऑनलाइन विभाग स्थापित किया था। इसके बाद देश-विदेश में बैठे लाखों लोगों ने दारुल उलूम के मुफ्तियों से ऑनलाइन सवाल करना शुरू कर दिया था। डाक से दारुल उलूम के इफ्ता विभाग में लेटर आते थे।
35 हजार फतवे उर्दू और करीब 9 हजार फतवे अंग्रेजी भाषा में वेबसाइट पर अपलोड किए गए हैं। 8 फरवरी 2022 को राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) और सहारनपुर के DM ने अगले आदेश तक दारुल उलूम देवबंद की वेबसाइट बंद कर दी थी। दारुल उलूम देवबंद ने फतवा जारी कर कहा था कि गोद लिए गए बच्चे संपत्ति के मामले में कानूनी वारिस नहीं हो सकते। जिस पर NCPCR ने कहा था कि यह अवैध है, क्योंकि यह देश के कानून के खिलाफ है।