नई दिल्ली: भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ 2024 की सियासी जंग लड़ने के लिए विपक्षी दलों ने कमर कसनी शुरू कर दी है। विपक्षी दलों को इस बात का बखूबी एहसास है की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सत्ता से बेदखल करने का सपना विपक्ष की एकजुटता के बिना नहीं पूरा हो सकता। यही कारण है कि विपक्ष की सबसे महत्वपूर्ण थुरी कांग्रेस की अध्यक्ष सोनिया गांधी ने विपक्ष को एकजुट करने का ताना-बाना बुनना शुरू कर दिया है। इस कड़ी में शुक्रवार को सोनिया गांधी की ओर से आयोजित 19 विपक्षी दलों की बैठक को सियासी नजरिए से काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। वर्चुअल ढंग से आयोजित इस बैठक में सोनिया ने 2024 की सियासी जंग के लिए विपक्षी दलों से एकजुट होने का आह्वान किया।
एनसीपी के मुखिया शरद पवार ने भी कहा कि लोकतांत्रिक सिद्धांतों को बचाने के लिए विपक्ष के नेताओं को साथ मिलकर काम करना होगा। सोनिया गांधी की ओर से बुलाई गई इस बैठक में उत्तर प्रदेश और दिल्ली की बड़ी सियासी ताकत माने जाने वाले तीन दलों समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और आम आदमी पार्टी ने हिस्सा नहीं लिया।
विपक्ष के कई अन्य नेता भी सक्रिय
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के अलावा विपक्ष के अन्य नेताओं की ओर से भी 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए एकजुटता पर जोर दिया जा रहा है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस की मुखिया ममता बनर्जी ने पिछले महीने दिल्ली की अपनी यात्रा के दौरान इस सिलसिले में विपक्ष के कई महत्वपूर्ण नेताओं से मुलाकात की थी। ममता की सोनिया और राहुल से भी मुलाकात हुई थी। ममता के अलावा राजद मुखिया लालू प्रसाद यादव और एनसीपी के मुखिया शरद पवार भी विपक्ष की एकजुटता को लेकर हाल के दिनों में काफी सक्रिय रहे हैं। अब सोनिया गांधी की ओर से बुलाई गई विपक्ष के नेताओं की बैठक को काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। इन सभी नेताओं का मानना है कि भाजपा को हराने के लिए विपक्षी दलों का एक मंच पर आना जरूरी है।