सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार के मंत्री उदयनिधि स्टालिन को सनातन धर्म पर टिप्पणी के लिए नोटिस दिया गया है। इसमें उनके खिलाफ FIR की मांग वाली याचिका पर जवाब मांगा है। उदयनिधि ने एक कार्यक्रम में सनातन धर्म की तुलना डेंगू, मलेरिया और कोरोनावायरस से की थी और धर्म को खत्म करने को कहा था। इसके बाद से वे विवादों में घिरे हुए थे।
न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस और न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी की बेंच ने बी. जगन्नाथ द्वारा दायर याचिका पर नोटिस जारी किया। इसमें उदयनिधि के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग की गई थी। जगन्नाथ के मुताबिक, ऐसी टिप्पणियां नफरत फैलाने वाले भाषण के समान हैं और अदालत ने इसी तरह के मामलों में कई निर्देश दिए थे। इसमें एफआईआर दर्ज करना भी शामिल है। याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ वकील दामा शेषाद्रि नायडू ने कहा कि उदयनिधि ने कथित तौर पर स्कूली छात्रों के बीच अच्छी-बुरे धर्म को लेकर भी नफरत फैलाई है।
क्या है पूरा मामला?
तमिलनाडु CM एमके स्टालिन के बेटे उदयनिधि स्टालिन ने चेन्नई में 2 सितंबर को एक कार्यक्रम में सनातन धर्म के खिलाफ बयान दिया था। 4 दिन बाद 7 सितंबर को उन्होंने पहली बार सफाई दी। उन्होंने कहा, ‘मैं किसी भी धर्म का दुश्मन नहीं हूं। मेरे बयान का गलत मतलब निकाला गया। मैं हिंदू धर्म नहीं सनातन प्रथा के खिलाफ हूं।
इसी के साथ उदयनिधि के पिता एमके स्टालिन ने भी उसी दिन बेटे का बचाव किया। स्टालिन ने सोशल मीडिया पर बयान पोस्ट किया – भाजपा ने झूठी कहानी फैलाई है। पीएम ने भी बिना सच जाने इस पर कमेंट किया। दरअसल, बुधवार 6 सितंबर को मंत्रिपरिषद की एक बैठक में प्रधानमंत्री ने सभी मंत्रियों को सनातन विवाद पर सख्त जवाब देने की बात कही थी।