पश्विम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने वन नेशन-वन इलेक्शन से असहमति जताई है। ममता ने कहा- संवैधानिक मुद्दे पर वह नेशन की परिभाषा से पूरी तरह संतुष्ट नहीं हैं। इससे दो समस्याएं हैं।
पहली ये, कि सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व पर वन नेशन का कांसेप्ट समझ आता है लेकिन संवैधानिक मसलों पर इसकी व्याख्या कैसे की जाएगी, इस पर उन्हें संदेह है।इसके अलावा जब हमारे देश में हर राज्य की विधानसभा चुनावों और आम चुनावों के चक्र में इतना अंतर है तो, इसे एक साथ कैसे लाएंगे।
ममता ने आगे कहा, कि जब तक यह अवधारणा कहां से आई इसकी पहेली हल नहीं हो जाती, तब तक वन नेशन पर सहमति जता पाना मुश्किल है।
ममता ने पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में बनी वन नेशन-वन इलेक्शन कमेटी को लिखे लेटर में ये बातें कहीं हैं। दरअसल कमेटी ने इस मुद्दे पर सभी राज्यों से सुझाव मांगे हैं।
पैनल को लिखे लेटर में ममता ने कहा कि 1952 में केंद्र और राज्यों के चुनाव एक साथ कराए गए थे। कुछ सालों तक यह प्रथा चली। बाद में यह टूट गई। मुझे खेद है मैं आपके द्वारा तैयार किए गए वन नेशन-वन इलेक्शन के कॉन्सेप्ट से सहमत नहीं हो सकती।
उन्होंने कहा कि समिति के प्रस्ताव से सहमत होने में कई बुनियादी वैचारिक कठिनाइयाँ हैं और इसकी अवधारणा स्पष्ट नहीं है।
TMC नेता ने आगे कहा- जो राज्य आम चुनाव के साथ इलेक्शन नहीं कराना चाहते हैं। उन्हें केवल समानता के लिए समय से पहले चुनाव के लिए मजबूर नहीं किया जाना चाहिए।
इससे जनता का विश्वास टूटेगा जिन्होंने पहले ही एक तय समय के लिए अपने विधानसभा उम्मीदवार को चुन लिया है।