New Delhi/Atulyaloktantra News : तो क्या लोकसभा चुनाव 2019 के परिणाम 23 मई की जगह 28 मई को आएंगे ? यह सवाल इसलिए उठ रहे हैं क्योंकि चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है 50 फीसदी ईवीएम के वीवीपैट पर्चियों का मिलान करने पर चुनाव के परिणाम में पांच-छह दिनों की देरी हो सकती है.
आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने 21 राजनीतिक दलों की इस मांग पर सुनवाई की और चुनाव आयोग से इस पर 25 मार्च को जवाब मांगा था. चुनाव आयोग ने अपने जवाब में कहा कि वीवीपैट की पर्चियों के मिलान का वर्तमान तरीका सबसे सटीक है. प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में 50 फीसदी ईवीएम के वोटों की गणना वीवीपैट पर्चियों से करने में चुनाव के परिणाम आने में पांच दिन या उससे अधिक की देरी हो सकती है.
आयोग ने कहा कि कई विधानसभा ऐसे है जहां 400 पोलिंग बूथ है. जिनके वीवीपैट पर्ची से मिलान करने में आठ से नौ दिनों का समय लग सकता है. आगे आयोग ने इसकी व्यवहारिकता पर भी सवाल उठाया और कहा कि इसके लिए न सिर्फ बड़ी तादाद में सक्षम स्टाफ की आवश्यकता होगी, बल्कि बहुत बड़े काउंटिंग हॉल की भी जरूरम पड़ेगी. ऐसी सुविधा की पहले से ही कुछ राज्यों में कमी है.
चुनाव आयोग ने कोर्ट के समक्ष अपनी बात रखते हुए कहा कि वर्तमान में ऑटोमैटिक रूप से पर्चियों के मिलान का तरीका उपल्ब्ध नहीं है. फिलहाल कोई मकेनिकल सिस्टम नहीं है क्योंकि वीवीपैट से निकल रही स्लिप पर कोई बारकोड नहीं लगा होता है.
क्या है वर्तमान तरीका
वर्तमान में चुनाव आयोग प्रत्येक क्षेत्र से कोई भी एक ईवीएम का चुनाव करता है और उसकी पर्चियों का मिलान करने का काम करता है. वर्तमान में देश में कुल 10.35 लाख पोलिंग स्टेशन हैं. औसत की बात करें तो एक असेंबली सीट में 250 पोलिंग स्टेशन हैं. आयोग की मानें तो, एक पोलिंग स्टेशन पर वीवीपैट काउंटिंग में फिलहाल एक घंटे का समय लगता है. लेकिन यदि इसे 50 प्रतिशत तक बढ़ा दिया गया तो इसमें औसतन 5.2 दिन का वक्त जाएगा.