पलवल (अतुल्य लोकतंत्र ): मुकेश बघेल/ कृषि विज्ञान केन्द्र, मण्डकौला द्वारा आयोजित किये जा रहे पॉंच दिवसीय नर्सरी उत्पादन प्रशिक्षण कार्यक्रम का आज समापन हो गया। कार्यक्रम में 30 प्रतिभागियों ने भाग लिया।
प्रशिक्षण के दौरान केन्द्र के मुख्य विस्तार विशेषज्ञ (बागवानी), डा. रणबीर सैनी ने कहा कि प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद प्रतिभागी सिखाई गई तकनीकों की सहायता से अपनी नर्सरी स्थापित कर स्वरोजगार आरम्भ कर सकते या स्थापित पौधशालाओं पर रोजगार पा सकते हैं। उन्हाने सब्जियों की अगेती काश्त हेतु हाई-टैक विधि द्वारा विशेषतौर पर डिजाईन की गई प्लास्टिक प्रो-ट्रेज में नर्सरी उत्पादन तकनीकी बताई व प्रदर्शित की।
कृषि विज्ञान केन्द्र के वरिष्ठ समायोजक डा. उमेश कुमार शर्मा ने नर्सरी उत्पादन को बतौर उद्यम स्थापित करने और इस व्यवसाय के आर्थिक लेखे-जोखे पर विस्तृत जानकारी दी और कहा कि यह एक उत्तम व्यवसाय है और इसकी अपार सम्भावनाएं हैं।
इस अवसर पर कृषि विज्ञान केन्द्र, झज्जर के कीट वैज्ञानिक डा. राजेश कुमार, ने पौधशाला में कीट प्रबन्धन व सेवानिवृत पादप व्याधि वैज्ञानिक डा.बी. के. शर्मा ने सूत्रकृमि व बीमारियों की रोकथाम के साथ-साथ मिटट्ी जनित समस्याओं के उन्मूलन हेतु ग्रीष्म ऋतु में नर्सरी की गहरी जुताई करके खुला छोड़ने व अन्य प्रभावी उपाय सुझाए।
के. वी. के. फरीदाबाद के सस्य वैज्ञानिक डा. राजेन्द कुमार व डा. विनोद कुमार, मुख्य विस्तार विशेषज्ञ (बागवानी) डा. रामभगत गुप्ता और कृषि वानिकी वैज्ञानिक डा. अशोक देसवाल ने क्रमशः नर्सरी मे खरपतवार नियन्त्रण व जल प्रबन्धन, नर्सरी स्थापित करने से पहले मिटटी-पानी की जांच, इनडोर व अन्य सजावटी पौधों के प्रवर्धन की विभिन्न विधियों जैसे- ग्रा∂िटंग, टी- बडिंग, पैच बडिंग, इनार्चिंग, गूटी बांधना, कलम व बीज द्वारा प्रवर्ध सम्बन्धी सम्पूर्ण तकनीकी जानकारी मुहैया कराई।
कार्यक्रम के अन्तिम दिन 10 फरवरी को कार्यक्रम के संयोजक व बागवानी विशेषज्ञ डा. रणबीर सिंह सैनी की अगुवाई में प्रतिभागियों को कृषि विज्ञान केन्द्र, के फार्म का भ्रमण कराया व समस्त नर्सरी व फलोत्पादन तकनीकी भी प्रदर्शित की जिसे देख किसान अति प्रभावित हुए। प्रशिक्षुओं के कैाशल विकास हेतु पौध प्रर्वधन कार्य इनसे करवाकर सिखाए गये।