Crude Oil Crisis : तेल के कीमतों की बढ़ोतरी थमती नजर नहीं आ रही है, ताजा घटनाक्रम के बाद तेल के दामों में और बढ़ोतरी की संभावना बढ़ गई है। इस बार यह संकट आने का कारण तेल निर्यातक देशों के समूह ओपेक प्लस देश प्लस देशों के बीच प्रोडक्शन बढ़ाने को लेकर कोई रजामंदी न बन पाना है। सऊदी अरब और यूएई में आउटपुट डील को लेकर ठन गई है। दोनों देशों की तकरार का तेल की कीमतों पर असर भी दिखा। सोमवार को कच्चे तेल का दाम लगभग 77 डॉलर प्रति बैरल रहा। जो 2018 के बाद से सबसे अधिक है। कई बैंको ने हाल ही में 80 डॉलर प्रति बैरल तेल की कीमत रहने का अनुमान लगाया था।
सऊदी अरब ने तेल उत्पादन न बढ़ाने की मौजूदा डील को साल 2022 तक विस्तार देने का प्रस्ताव रखा, लेकिन यूएई इससे सहमत नहीं है। संयुक्त अरब अमीरात ने ओपेक और अन्य तेल उत्पादक देशों के तेल प्रोडक्शन में कटौती के फैसले का विरोध किया। यूएई इस डील को अपनी शर्तों पर आगे बढ़ने के लिए अड़ा हुआ है। यूएई का कहना है कि वह अपना तेल उत्पादन बढ़ाए बिना डील को आगे बढ़ाने के प्रस्ताव का समर्थन नहीं करेगा। उसने तेल उत्पादन बढ़ाये बिना डील को 2022 तक बढ़ाने के प्रस्ताव को अपने साथ नाइंसाफी करार दिया। दोनों देशों में इस मुद्दे पर मतभेद इतना बढ़ गया कि बिना किसी नतीजे के बैठक खत्म हो गई, और आगे मीटिंग कब होगी यह भी तय नहीं हो पाया। यूएई तेल उत्पादन में चरणबद्ध वृद्धि के साथ मौजूदा सौदे को 2022 तक बढ़ाने के सऊदी के प्रस्ताव का विरोध कर रहा है। बहरहाल, सऊदी और यूएई के बीच तकरार का नतीजा यह होगा कि अगस्त में होने वाली सप्लाई में अपेक्षाकृत कोई बढ़ोतरी नहीं होगी. यह विशेष रूप से अमेरिका, यूरोप, चीन और भारत से मांग में वृद्धि के रूप में बाजार को मजबूत करेगा।